रिपोर्ट -सत्य जीत पाण्डेय,
मिश्रिख (सीतापुर),
जनता का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि वर्ष 2013 और 2015 से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मिश्रिख पर कार्यरत संविदा नर्सों पर शासन-प्रशासन अब तक कोई भी अनुशासनात्मक कार्रवाई नही कर पाया है.
जहां किसी भी प्रकार की कार्यवाई से बचाने के लिए सरकारी कर्मचारियों-स्थानीय लोगों का एक खास गठजोड़ सक्रिय हो गया है. वहीं सुर्खियों से बचाने हेतु स्थानीय मीडिया कर्मियों पर ख़बर न निकालने का दबाब बनाने का कार्य भी किया जाने लगा है.
देखना है कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं पर पलीता लगाने वाले कर्मचारी जीतते हैं या सरकारी अस्पतालों में गाली खाकर इलाज कराने वाली यह जनता जो वोट देकर सरकार बनाती है.
बीते दिनों य़ह बाकया हुआ था- मोहिनी के साथ जिनके पति का नाम रंजीत है. जो निवासी हैं रोहापार (हरदोई) के और मायका गोहरी- मिश्रिख (सीतापुर) में है प्रसव हेतु मायके स्थित सरकारी अस्पताल आये थे.
मरीज और परिजनों के अनुसार बीते दिनों महर्षि दधीचि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र,मिश्रिख में प्रसव का सफल ऑपरेशन होने पर मरीज को वार्ड में शिफ्ट किया गया था.
रात में ड्यूटी पर नर्स नीलम मौर्या और रीता सिंह थी. परिजनों और मरीज ने आरोप लगाया था कि रात में अत्याधिक पीड़ा होने पर नर्सों को बताया था तो “उन्होंने गालियां दी और कहा था कि सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन क्यूँ कराती हो. तबहूँ कहो कि साहब देखि लेयो चलिके पई नाई देखन रहै तउ नाई देखू, एकू पिरायवट लड़कीनिनि देखो”.