रिपोर्ट -अखिलेश मिश्रा,
-एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दीपिका शुक्ला ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के महत्वपूर्ण दिशा-निर्देशों पर विस्तार से की चर्चा
डॉ. दीपिका शुक्ला ने दी सलाह, संक्षिप्त में विश्व स्वास्थ्य संगठन की कम से कम इन तीन बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए :-
1.सबसे पहले हम सभी को अपने घरों में हीटिंग और कूलिंग का उपयोग कम से कम करना चाहिए
2.कम दूरी तक जाने के लिए गाड़ी के बजाय पैदल चलना चाहिए, साइकिल भी नियमित चलानी चाहिए
3.प्लास्टिक प्रदूषण व उत्पादन से होने वाले कार्बन उत्सर्जन से निपटने को कचरे का उचित प्रबंध जरूरी
हम सभी अच्छी तरह से जानते है कि स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छ पर्यावरण का होना बहुत ही जरूरी है। लेकिन विकास और तकनीकी के इस दौर में कहीं न कहीं हम लोगों से पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखने में कभी न कभी चूक हो ही जाती है। इस गंभीर विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए महाराणा प्रताप डेंटल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दीपिका शुक्ला ने बताया कि पर्यावरणीय संकट मूलतः एक स्वास्थ्य संकट है, क्योंकि पर्यावरणीय जोखिम पूरी दुनिया में होने वाली करीब एक-चौथाई मौत और बीमारियों के होने का कारण बनते हैं। इस गंभीर समस्या से निवारण के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन जलवायु परिवर्तन को कम करने के साथ ही प्रदूषण को भी कम करने के लिए प्रणाली गत परिवर्तन, अंतर-क्षेत्रीय सहयोग और व्यक्तिगत कार्रवाइयों पर केंद्रित दिशा-निर्देश प्रदान करता है। गौरतलब है कि अक्टूबर से नवंबर 2025 के बीच जारी किए गए दिशा-निर्देशों में इस बात की विस्तार से चर्चा की गई है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बात पर ज़ोर देता है कि पर्यावरणीय संकट से निपटने के लिए स्वास्थ्य संबंधित सभी नीतियों की आवश्यकता है, जहां स्वास्थ्य क्षेत्र ऊर्जा, परिवहन, कृषि और शहरी नियोजन जैसे अन्य क्षेत्रों के साथ मिलकर स्वास्थ्य संबंधी विचारों को अपने निर्णय लेने में शामिल करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र जैसे सहयोगी संगठन भी व्यक्तिगत जीवनशैली में ऐसे बदलावों को बढ़ावा देते हैं जो सामूहिक रूप से महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अन्य प्रमुख दिशा-निर्देश
1.स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तन: वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को पूर्णतया कम करने के लिए जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल और गैस) से पवन के साथ ही सौर जैसे नवीकरणीय, कम उत्सर्जन वाले ऊर्जा स्रोतों की ओर स्थानांतरण किया जाना चाहिए।
2.वायु गुणवत्ता में सुधार जरूरी : कड़े उत्सर्जन नियंत्रण को लागू करना चाहिए, हरित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता दिशा निर्देश निर्धारित और लागू करना आवश्यक है।
3.आवश्यक सेवाओं निर्धारण जरूरी : सुरक्षित रूप से प्रबंधित जल, स्वच्छता, स्वास्थ्य , अपशिष्ट प्रबंधन और विश्वसनीय बिजली सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच की गारंटी देना, विशेष रूप से स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं और कमजोर समुदायों में।
4.सतत खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देना: पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और पोषण में सुधार के लिए सतत कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करना, मांस और डेयरी की खपत को कम करना, और खाद्य अपशिष्ट में कटौती करना।
- लचीली स्वास्थ्य प्रणालियों में निवेश: जलवायु-लचीले स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का निर्माण करना बहुत जरूरी है और स्वास्थ्य कर्मचारियों को अत्यधिक गर्मी, संक्रामक रोगों और प्राकृतिक आपदाओं जैसे जलवायु-संबंधी स्वास्थ्य जोखिमों का पूर्वानुमान लगाने, उनका प्रबंधन करने और उनके अनुकूल होने के लिए प्रशिक्षित करना।
6.विनियमन को मजबूत करना: हानिकारक पदार्थों (जैसे, सीसा और पारा जोखिम) को सीमित करने और व्यवसायों द्वारा पर्यावरणीय रूप से ज़िम्मेदार प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए विनियमन को लागू करना।
6.ऊर्जा अवश्य बचाएं : हीटिंग और कूलिंग का उपयोग कम से कम करना चाहिए। एलईडी बल्ब और ऊर्जा-कुशल उपकरणों का उपयोग ही करना चाहिए। नवीकरणीय ऊर्जा प्रदाताओं का उपयोग करने की आदत डालनी चाहिए।
7.यात्रा करने की आदत में बदलाव जरूरी : कम दूरी तक जाने के लिए गाड़ी चलाने के बजाय अधिक से अधिक पैदल चलना चाहिए। साइकिल जरूर चलानी चाहिए, इसके अलावा सार्वजनिक परिवहन रोडवेज या मेट्रो ट्रेन आदि का उपयोग करना उचित है। लंबी दूरी के लिए, हवाई जहाज की बजाय रेलगाड़ियों का उपयोग करना चाहिए। परिस्थितियों और समय को देखते हुए यदि कार का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी हो तो इलेक्ट्रिक वाहनों का ही उपयोग करना चाहिए।
8 .कम क्रय करें, पुनः उपयोग करें, पुनर्चक्रण करें: कम वस्तुएं खरीदने की आदत डालनी चाहिए। इसके अलावा प्रयोग की गई यानी सेकंड-हैंड वस्तुएं खरीदने की कोशिश करनी चाहिए। जिस वस्तु की आप मरम्मत कर सकते हैं तो उसकी मरम्मत जरूर करनी चाहिए। प्लास्टिक प्रदूषण और उत्पादन से होने वाले कार्बन उत्सर्जन से निपटने के लिए कचरे का उचित प्रबंध करना बहुत आवश्यक है ताकि पर्यावरण को संरक्षित किया जा सके।










